भविष्य सोच से अभिप्राय यह है कि भविष्य के बारे में सोचना जैसे किसी व्यक्ति के घर जाते हुए मैं यह सोच सकता हूं कि वह व्यक्ति मिलेगा अथवा नहीं मिलेगा लेकिन उसके घर जाने पर पता चलेगा कि वह मकान बदलकर कहीं चला गया यह मैंने नहीं सोचा था।
मनुष्य जितना सोच सकता है कोई भी कार्य उससे ज्यादा अपने आप बन या बिगड़ जाता है इसे आप किस्मत, भगवान, (ईश्वर) की मरजी या तीसरी सोच जो भी चाहो कह सकते हैं यही भविष्य सोच है।
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