गुरुवार, 19 मई 2011

चौपाई में समाई मंत्र शक्ति

विद्या प्राप्ति
गुरू गृह गए पढन रघुराई।
अलप काल विद्या सब आई।।

परीक्षा में सफलता
जेहि पर कृपा करहि जनु जानी।
कवि उर अजिर नचावहि बानी।।
मोरि सुधारिहि सा सब भांती।
जासु कृपा नहि कृपा अघाती।।

नजर दूर करने के लिए

स्याम गांर सुन्दर दोउ जोरी।
निरखहिं छबि जननी तृन तोरी।।

विपत्ति निवारण
जपहि नामु जन आरत भारी।
मिटाई कुसंकट होहि सुखारी।।

रोजगार
बिस्व भरण-पोषण कर जोई।
ताकर नाम भरत अस होई।।
गई बहोर गरीब नेवाजू।
सरल सबल साहिब रघुराजू।।

सुयोग्य वर
सुन सिय सत्य अशीश हमारी।
पूजहि मन कामना तिहारी।।

कुमार्ग से बचाव
रघुवसिन कर सुभाऊ।
मन कुपंथ पग धरहि न काऊ।।

दाम्पत्य जीवन में प्रेम
रामहि चितव माप जिहि सिया।
सो सनेहु सुख नहि कथानिया।।

यात्रा में सफलता
प्रबिसि नगर कीजे सब काजा।
ह्वदय राखि कौसलपुर राजा।।

पुत्र प्राप्ति
प्रेम मग्न कौसल्या निसिदिन जात न जान।
सुत सनेह बस माता बालचरित कर गान।।

परिवार सुख
जबते राम ब्याहि घर आए।
नित नव मंगल मोद बढ़ाए।।

नवग्रह शांति
मोहि अनुचर कर केतिक बाता।
तेहि महं कुसमउ बाम विधाता।।

प्रेत बाधा निवारण
प्रनवऊं पवन कुमार खल वन पावक ज्ञान धन।
जासु ह्वदय आगार बसहि राम सर चापि धर।।

सर्व सिद्धि
भाव कुभाव अनख आलसहु।
नाम जपत मंगल दिशि दसहू।।

अनिष्ट भंजन
राजिव नैन धरै धनु सायक।
भगत विपत्ति भंजन सुखदायक।।

भ्रम निवारण
राम कथा सुन्दर करतारी।
संशय विहग उडावन हारी।।